लद्दाख से भाजपा सांसद जामयांग त्सेरिंग नामग्याल ने पिछले साल गृह मंत्री अमित शाह से केंद्र शासित प्रदेश में सरकारी नौकरियों के लिए उर्दू को अनिवार्य भाषा के रूप में हटाने की मांग की थी।
लद्दाख प्रशासन ने राजस्व विभाग में विभिन्न पदों पर बहाली के लिए योग्यता के रूप में उर्दू की आवश्यकता को समाप्त कर दिया है। इस संबंध में लद्दाख से बीजेपी सांसद जामयांग सेरिंग नामग्याल ने जानकारी दी है। उन्होंने धारा 370 के हटने के बाद अनिवार्य उर्दू के उन्मूलन को सच्ची स्वतंत्रता करार दिया है। भाजपा सांसद ने इसके लिए पीएम नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और लद्दाख के उपराज्यपाल राधाकृष्ण माथुर को धन्यवाद दिया है। नामग्याल ने कहा, ”केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के उपराज्यपाल की ओर से जारी एक नोटिस में कहा गया है कि राजस्व विभाग में 7 तारीख के बाद भर्ती होने वाले सभी पटवारी और नायब तहसीलदार पदों पर उर्दू अनिवार्य नहीं होगी।’
Gratitude to #ModiSarkar for this much required reformative steps in administrative system of Ladakh.
Thanks @lg_ladakh and Administration of UT Ladakh.
Correspondence details… pic.twitter.com/C8Ei8TzALP
— Jamyang Tsering Namgyal (@jtnladakh) January 11, 2022
भाजपा सांसद ने कहा कि अब यदि आपने किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से स्नातक किया है तो आप नौकरी के लिए आवेदन कर सकेंगे। उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि लद्दाख को अलग केंद्र शासित प्रदेश घोषित किए जाने के बाद हमने एक सुधार कदम उठाया है। जो उर्दू नहीं जानते हैं, यानी पूरे लद्दाख के लिए, यह नीति पक्षपातपूर्ण थी, क्योंकि उर्दू हमारी मातृभाषा नहीं है। लद्दाख का कोई भी निवासी, कोई समुदाय, कोई जनजाति नहीं। इसलिए, राजस्व विभाग द्वारा पहला कदम उठाया गया है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि यहां कामकाज सामान्य, मैत्रीपूर्ण, लोगों तक पहुंचे। मैं भारत के पीएम नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित को धन्यवाद देता हूं शाह, लद्दाख के उपराज्यपाल राधाकृष्ण माथुर के इस पहले कदम के लिए। इससे लद्दाख की पूरी जनता खुश हो गई है। मुझे उम्मीद थी कि इससे लद्दाख को अपनी पहचान बनाने और इसे ऊपर उठाने का मौका मिलेगा।’
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प्रमुख सचिव डॉ पवन कोतवाल द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार ‘उर्दू का ज्ञान’ की जगह ‘किसी भी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री’ अनिवार्य कर दी गई है। बता दें, लद्दाख में लेह और कारगिल दो जिले हैं। भूमि और राजस्व अभिलेखों में उर्दू भाषा का प्रयोग किया गया है। अदालतों (निचली अदालतों) और यहां तक कि पुलिस थानों में भी एफआईआर उर्दू में लिखी जाती है। उर्दू सरकारी स्कूलों में दी जाने वाली शिक्षा का माध्यम है, खासकर कश्मीर, कारगिल और जम्मू के मुस्लिम बहुल इलाकों में।
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